गाव में मेला
हमारे यहाँ साल में लगने बाला वसंत पंचमी मेला ,
दुस्शेरा मेला और राम नवमी मेला प्रसिद्ध है | पुराने ज़माने में जब गाव में कई
मनोरंजन के साधन नहीं होता तो लोग इन मेले का बड़ी बेसब्री से इन्तेजार करते है |
जब यह मेला किसी धार्मीक जगह पर लगता तो गाव में लोग अपना समूह बनाकर मेला देखने
जाते है | सबसे पहले लोग उस स्थान पर जाते है जहाँ शिवालय देवी देवता परतिमा को
दर्शन करते है | उन दिनों इन देवी देवता के दर्शन करना भी दुर्लभ था इतना भीड़
उभरता है कि बड़ी मुस्किल से इन देवी देवताओं के दर्शन हो पाता है | तथ्प्सताश आपना
समूह को एकत्र कर कुछ खाना पानी कि व्य्बस्ता कर सभी लोग कुछ खा पी लेते इसके बाद
मेले में घुमने जाते |कही पकवान के दूकान तो कही
सिंगार प्रशाधन के सामान तो कही बन्दर के नाच तो कही सर्कस तो कही भालू का
खेल तो कही जादू का खेल तो कही बच्चो के खिलोने कि दूकान तो कही पर झूला लगा है तो
कही दूर दूर से व्यापारी कपडे कि दूकान तो कही अनेको प्रकार कि दूकान नजर आती है
तो कही बच्चो के लिए रेलगाड़ी कि सबरी कि ब्याबस्ता तो कही गाव के पहलवान पहलवानी
करते है , कही घोड़े कि सबरी , कही हाथी ऊंट और कही तरह तरह के शांप के खेल तो कही
तरह तरह के चिड़िया और जानवर देखेने के लिए मिल जाते है | लोग अपने ज़रूरत का सामान
भी बनवा लेते या खरीद लिया करते है |
रात के समय गाव कि
स्त्री आपना समूह बनाकर बच्चो के साथ मेला देखने जाते है और सभी मौज मस्ती में कर
देर रात अपने घर लौट आए | इस प्रकार के लोगो का मनोरंजन भी हो जाता है और आपना
खेती किशनी और अपने घर कि ज़रूरी सामान कपड़े , बर्तन इत्यादि खरीद भी लेते और फिर
आपना जीवन यापन के काम में लग जाते है |
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