नारी की सुरक्षा | Woman's safety
नारी की सुरक्षा | Naaree kee Suraksha
कहा जाता है कि भारत एक खोज प्रधान देश है। यहां की नारी अभी सशक्त नहीं हो पाई है। भारत की आबादी का 70% लोग गांव में रहते हैं। शिक्षा दीक्षा के अभाव के वजह से वहां के पुरुष स्त्री पर काफी दबाव बनाकर रखते हैं।
अज्ञानता के कारण आए दिन लड़कियों के साथ दुष्कर्म के समाचार आते रहते हैं। इसके कारण स्त्री अपने घर से निकलने से भी डरती है और पुरुष स्त्री को घर से बाहर भेजने से डरते हैं। क्योंकि समाज में ही कुछ शरारती लोग अपने हवस के कारण किसी पराई लड़कियां-औरतो पर अत्याचार कर डालते हैं।
कुछ लोग तो आपने पहचान के लोग या रिश्तेदारों के यहां आना-जाना करके भी कुछ स्त्री एवं लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न करते हैं। ऑफिस में भी पुरुष कर्मचारी द्वारा अपना साथी महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के कहानी आती रहती है।
एक शोध में यह सामने आया है कि 90% बलात्कार के मामले में बलात्कार करने वाला कोई करीबी ही होता है |
किसी भी नए प्राणी के मदर प्राणी को देखकर आकर्षण पैदा होना यह एक प्राकृतिक देन है और पशु तो इस तरह के व्यवहार करते रहते हैं ।
क्योंकि उनकी सोच होती है अपना बंसज को आगे बढ़ाना ना की किसी अन्य जानवर को परेशान करना पर मानव जाति को तो भगवान ने बुद्धि और विवेक दिया है। फिर भी यह गलत कर्म के कारण फांसी पर लटकने से भी नहीं डरता है।
इसका मुख्य कारण है यह है कि हमारे समाज में शिक्षा की कमी है । जब भगवान ने बुद्धि दिया है तो अपने विवेक के हिसाब से अपनी इंद्रियों पर काबू करना चाहिए और अच्छा बुरा कर्म का ध्यान रखना चाहिए पर कुछ मनुष्य पशु से भी ज्यादा दिमागी होते हैं। इसी कारण हमारे यहां की औरतें महिला सशक्त नहीं हो पाई है।
किसी भी स्वस्थ समाज की नीव शिक्षा ही तो है | यदि हम इतिहास की बात करे तो हमारे समाज में बहुत सी बुराईया थी | जिसे धीरे धीरे सुधारा गया है | जैसे
सती प्रथा- इस कुरिति के कारण जब भी किसी स्त्री का पति मर जाता था तो उसके साथ ही लोग उसकी स्त्री को उसके साथ ही जला देते थे | परन्तु यदि किसी पुरुष की पत्नी मर जाती तो उसे सती नहीं किया जाता था | वह पुरुष पुनः विवाह कर लेता था | इसे सुधारने में राजा राममोहन रॉय ने बहुत बड़ी भूमिका निभाया था |
विधवा विवाह- यदि किसी स्त्री का पति मर जाता तो उसे पुनः विवाह करने कि छुट आज भी नहीं है | उसे पूरी जिन्दगी अकले ही बिताना पड़ता है |
यदि वह स्त्री स्वंग विवाह कर ले तो लोग उसे गन्दी निगाह से देखते है |
हमारे देश पुरुष प्रधान देश है | यहाँ लोग सिर्फ यह सोचते है कि स्त्री घर में रह कर घर का ही काम करती है | इससे ज्यादा के बारे में नहीं सोचते है |
प्राचीन काल से ही स्त्री अपने आप को साबित करने में लगी है | वो चाहे रानी लक्ष्मीबाई हो या रजिया सुल्तान |कित्तूर कि रानी चेन्नम्मा , बेगम हजरत महल , एनी बेसेंट , भीकाजी कामा , सुचेता क्रिपलनी , भारत कोकिला सरोजनी नायडू ,इत्यादि जिन्होंने अपने प्रतिभा का परिचय दुनिया को दिया | इन्होने सब को यह बताया की वो किसी पुरुष से कम नहीं है |
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