मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी
एक पड़ोसी मुल्ला नसरुद्दीन के द्वार पर पंहुचा |मुल्ला उससे मिलने बहार निकले |
मुल्ला ने कहा-"क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते है , मुझे कुछ सामान दुसरे शहर पहुचाना हैं ?”
मुल्ला उसे अपना गधा नहीं देना चाहता था , पर साफ – साफ मना करने से पड़ोसी को ठेश पहुचती इसलिए उन्होंने झूठ कह दिया,
मुल्ला-"मुझे माफ़ करना मैंने तो आज सुबह ही अपना गधा किसी और को दे दिया हूँ |"
मुल्ला ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी की अन्दर से ढेचू – ढेचू की आवाज़ आने लगी |
“ लकिन मुल्ला , गधा तो अन्दर बंधा चिला रहा है ।" पड़ोसी ने चौकते हुए कहा |
मुल्ला बिना घबराये हुए बोले- "तुम किस पर यकीन करते हो? गधे पर या अपने मुल्ला पर ?"
पडोसी - चुप-चाप वापस चला गया ।
मुल्ला भी मन ही मन अपने सूझ - बुझ पर खुश था ।
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