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मुल्ला नसरुद्दीन 2

एक पड़ोसी मुल्ला नसरुद्दीन के द्वार पर पंहुचा |मुल्ला उससे मिलने बहार निकले |मुल्ला ने कहा-"क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते है ||
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 मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी 


मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी


एक पड़ोसी मुल्ला नसरुद्दीन के द्वार पर पंहुचा |मुल्ला उससे मिलने बहार निकले |

मुल्ला ने कहा-"क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते है , मुझे कुछ सामान दुसरे शहर पहुचाना हैं ?”

मुल्ला उसे अपना गधा नहीं देना चाहता था  , पर साफ – साफ मना करने से पड़ोसी को ठेश पहुचती इसलिए उन्होंने झूठ कह दिया,

मुल्ला-"मुझे माफ़ करना मैंने तो आज सुबह ही अपना गधा किसी और  को दे दिया हूँ  |"

मुल्ला ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी की अन्दर से  ढेचू – ढेचू की आवाज़ आने लगी |

“ लकिन मुल्ला , गधा तो अन्दर बंधा चिला रहा है ।" पड़ोसी ने चौकते हुए कहा |

मुल्ला बिना घबराये हुए बोले- "तुम किस पर यकीन करते हो? गधे पर या अपने मुल्ला पर ?"

पडोसी - चुप-चाप वापस चला गया ।

मुल्ला भी मन ही मन अपने सूझ - बुझ पर खुश था ।

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी


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Mullah Nasruddin

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मुल्ला नश्रुद्दीन

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