सभी लोग सफल क्यू नहीं होते | Why not successful
सफल क्यों नहीं होते
एक बार गुरुनानक देव ने गाव में भ्रमण करने आये थे | तब गाँव के लोगो ने उनके आगमन का सुचना पाकर गाव में एकत्रित हो गए | कुछ आदमी ने गुरुनानक देव से पूछा कि हम सभी लोग सफल क्यूँ नहीं होते |गुरुनानक देव ने उत्तर दिया तुम सभी लोग सफल ही तो हुए हो |गाँव के लोगो ने अस्चर्य से पूछा कैसे ? जब तुम लोग छोटे थे तभी सभी को माता पिता ने कुछ न कुछ शिक्षा प्राप्त करने के लिए अवसर दिए जैसी उनकी छमता थी |
तुमने देखा होगा स्कूल की पहली कक्षा में एक गाँव से सैकड़ो बच्चे स्कूल जाते है पर कुछ ही समय के बाद धीरे धीरे उनकी संख्या कम होने लगती है और अंत तक उन्ही में से कुछ देश के छोटे बड़े पद पर काबिज हो जाते हैं और उसी में से कुछ गाव में ही घूमते रह जाते है |
इसका मतलब कतई नहीं हुआ कि जो छोटे बड़े पद नहीं पकड़ पाए वह सफल नहीं हुए | सफल सभी होते है जब सफल नहीं हुआ तो इतने बड़े और बूड़े कैसे हो गए |
सफल और असफल यह सब हम लोगो की सोच का फर्क है |
सफल सभी होते है |
तब गुरुनानक देव जी ने एक कहानी सुनाया -
एक राजा था उसके पास बहुत सारी धन सम्पदा होते हुए भी वह यही सोचता था कि उसके पास बहुत कम धन है | उसके राज्य के लोग राजा के इस सोच से हमेशा परेशान रहते है | राजा हमेशा सोचता रहता था कि वह अपने धन को बढ़ाने मे सफल कैसे हो जाये | धन के लालच में उसने अपने कई पडोसी राज्य के राजाओ से युद्ध किया | कई राज्यो से धन लुटने के बाद भी उसका लालच कम नहीं हुआ |
एक दिन रजा बीमार पड गया | तब राज्य के वैध को बुलावा भेजा | उन्होंने आने के बाद राजा की हालत देखी | उन्होंने राजा को एक अनोखा उपाए बताया | उन्होंने कहा की ऐ राजन तुम जाओ और ऐसे आदमी की कमीज ले कर आओ जो हमेशा प्रशन्न रहता हो |
राजा ने तुरंत अपने सिपाहियों को इस काम में लगा दिया | बहुत खोजने के बाद सिपाहियों ने एक ऐसे आदमी को खोज निकला जो हमेशा प्रशन्न रहता था | सिपाहियों ने उस आदमी से पूछा कि- क्या तुम हमेशा खुश रहते हो ?
उसने जबाब दिया - जी हाँ , मै सदा खुश रहता हूँ | तब सिपाहियों ने उसे अपनी कमीज़ राजा देने को कहा | वह हसने लगा और कहा कि मेरे पास तो कमीज़ है ही नहीं | सभियो अस्चर्य से उसे देखने लगे |
फिर सब राजा के पास जा कर साड़ी बात बताई |
राजा कि आँखे खुल गयी | उसने सोचा कि जब उस आदमी के पास कमीज़ नहीं है तब भी वह खुश रहता है और अपने आप को सफल मानता है तो मेरे पास तो इतनी दौलत होते हुए भी मै सफल कैसे नहीं हूँ |
उस दिन से वह राजा प्रसन्न रहने लगा और प्रजा की सेवा करने लगा |
गुरुनानक देव जी कि बाते सुन सभी गाँव वाले यह समझ गए कि सफलता और असफलता हमारी सोच पर निर्भर करती है |
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