अनुसासन क्या है? | What is discipline
अनुशासन का अर्थ | Meaning of discipline
अनुशासन का अर्थ - तो सही मायने में कोई भी ग्रंथ में नहीं समझाया और ना ही किसी समाज सेवक किया धर्मगुरु ने बताया। राजनेता ने एक सिर्फ नारा दिया था |"कौन बनाता देश महान सैनिक शिक्षक छात्र किसान । अनुशासन की आवश्यकता हर जगह है।
अनुशासन का मतलव
अनुशासन का मतलव सिर्फ आज्ञा का पालन नहीं है। अनुशासन मानव के जीवन में बहुत ही आवश्यक है। मनुष्य तो सुबह होते ही अपना दिनचर्या अनुशासन से करना चाहिए करना चाहिए। जैसे समय से उठना अपनी दैनिक कार्य समय पर सही ढंग से करना।
छात्र अगर अनुशासित हो जाता है तो समय पर स्कूल जाना समय से अपना होमवर्क पूरा करना समय से खेलकूद करना समय पर खाना खाना और समय पर सोना यह अगर छात्र करता है ,तो उसे जीवन में आगे बढ़ने में कोई नहीं रोक सकता।
इसी तरह शिक्षक भी नैतिक समय पर आकर पठन-पाठन के कार्य पूरा करता है ,तो अपने अनुशासन का परिचय देता है तो उनका समाज में मान सम्मान बढ़ता है।
किसान भी अपना अनुशासन मैं अगर चलता है तो समय पर खेती करता है, तो अपनी संपूर्ण में अंतर अपना खेत खलियान को देखभाल करता रहता है ,तो दुनिया में किसी प्रकार की खाद्य सामग्री की कमी नहीं होगी और ना तो किसान को ना ही किसी चीज की कमी होगी।
अनुशासित है तो उनका देश पर किसी दूसरे शक्तिशाली देश की नजर उठा के कर नहीं देख सकते। अनुशासन हमारे जीवन में बहुत जरूरी है। अगर हमारे देश में हर नागरिक अनुशासित हो जाएगा तो हमारा देश फिर से रामराज्य की तरह लौट सकता है।
अनुशासन की कमी के कारण हमारे देश में हर जगह भ्रष्टाचार होता है। लोग अपनी नीति भूलकर से धन जमा करने की ओर भाग रहे हैं। हमारे राजनेता से लेकर देश के वह ऊंचे औदे पर विराजमान लोग अनुशासन भूल गए हैं। समय गायब बगैर समय पर सभी कर्मचारी पर पारी और हम लोग अपना कार्य निर्धारित करने लगे तो देश महान तो बनेगा ही साथ ही देश के दिशा बदल जाएगी आज जो दशा और संकट देश पर है सिर्फ अनुशासन की कमी के कारण है।
इसलिए छात्र छात्राओं को भी अनुशासन का मतलब समझाना चाहिए साथ ही समाज को भी अनुशासित करने की कोशिश करनी चाहिए महात्मा गांधी एक अनुशासित व्यक्ति में से एक थे वह समय के बहुत ही पावन इंसान थे जब वह समय से किसी काम को नहीं कर पाते तो बहुत ही अपने आप पर नाराज हो जाते हैं। एक बार चंपारण में गधी यात्रा के समय अपने समर्थक के साथ यात्रा पर जाना था।
उसी समय उनका अपना सामान बांधने में उनका साथी सिर्फ 5 मैं देर कर दिया इस पर महात्मा गांधी नाराज हो गए और बोले इस 5 मिनट देरी से मतलब 5 दिन देर हो गया। हमारे साथ जाने वाले हजारों आदमी के 5 मिनट जोर कर देखो। वास्तव में समय के पाबंद लोग सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचते बल्कि वह राष्ट्र के बारे में भी सोचते हैं। उनका कहना था हर व्यक्ति समय से इस देश में काम करेगा तभी राष्ट्र का निर्माण होगा।
प्रेरणा
इसीलिए आप सब भी अनुशासित बनिए और अपनी जीवनशैली को संभालिए क्योंकि अनुशासन बहुत ही
अच्छी आदत है और अगर इस आदत को आप सब अपना ले तो आप की जीवन शैली बहुत ही सुखमय हो जाएगी।
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