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कर्म का फल

मनुष्य के जीवन में कर्म का बहुत ही महत्व है। किसी मनुष्य द्वारा किया गया कर्म या को कुकर्म का फल कभी तुरंत मिल जाता है तो कभी कभी यह कुकर्म का फल मिल
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 कर्म का फल

कर्म का फल

       मनुष्य के जीवन में कर्म का बहुत ही महत्व है। किसी मनुष्य द्वारा किया गया कर्म या को कुकर्म का फल कभी तुरंत मिल जाता है तो कभी कभी यह कुकर्म का फल मिलने में समय लगता है। मेहनत और मजदूरी के द्वारा किया गया कर्म का फल उसे हाथों हाथ धन के रूप में मिल जाता है। कुछ कुकर्म का फल भी हाथों-हाथ मिल जाता है जैसे चोरी-डकैती ,बलात्कार , हत्या इन सब का फल समाज द्वारा या पुलिस द्वारा अपने आप मिल जाता है। पर यही कर्म का फल अगर हाथों-हाथ नहीं मिलता तो इसका फल भगवान द्वारा भी प्राप्त होता है। इसी कड़ी में मैं सबसे पहले अच्छे कर्म पर प्रकाश डालता हूं।

        जब मनुष्य सत्य के मार्ग पर चलकर अपनी इमानदारी से कोई भी काम करता है। तो उसे सतकर्म कहा जाता है। वह मनुष्य हमेशा सभी के कल्याण की भावना से अपना कर्म करता है और अपना जीवनयापन करता है। उनके द्वारा किया गया सत्यकर्म उनके आने वाली पीढ़ी पर प्रभाव पड़ता है। उनके पुण्य प्रताप से उनके आने वाली पीढ़ी भी सुखी संपन्न होती है। वह भी कोई गलत काम करने से पहले सौ बार सोचता है और गलत काम करने से बचता रहता  है। पर कुकर्म करने वाले कभी भी चैन की रोटी नहीं खा पाते। जब वह कोई भी कुकर्म किया करते हैं तो वह हमेशा भयभीत रहते हैं। वह हमेशा समाज से अपनी बुराई के कारण अलग-थलग रहते हैं। उसे डर लगता है कि कहीं उसके द्वारा किया गया पाप समाज के सामने ना आ जाए या पुलिस को पता ना चले। इसी कड़ी में मैं कर्म और कर्म के ऊपर एक कहानी सुनाता हूं कृपया ध्यान दीजिएगा।
        एक राजकुमार था। वह अपने राज्य में खुशी पूर्वक रहा करता था। हमेशा प्रजा के कल्याण हेतु अच्छा काम करता था। एक दिन वह एक धार्मिक स्थल पर भ्रमण करने गया । वहां दूर दूर के राजा महाराजा भी अपनी रानी ,राजकुमारी ,दासी के साथ वहां भ्रमण करने के लिए आए थे। राजकुमार को एक सुंदर राजकुमारी के साथ भ्रमण करने का मौका मिल गया । थोड़ी ही देर में उन्हें एक दूसरे के प्रति प्रेम उभर आया। राजकुमारी ने राजकुमार से कही चलो हम दोनों यहां से भाग चलते हैं ।फिर शादी रचा लेंगे। यह सुनकर राजकुमार भी सहमत हो गया। राजकुमार ने कहा तुम यहीं कहीं छुप जाओ मैं एक घोड़ा खरीद कर आता हूं। ताकि भागने के समय कोई हमारा पीछा ना कर पाए। 
        राजकुमार घोड़ा खरीदने के लिए सौदागर के पास गया उसने सभी मौजूद घोड़ा घोड़ी को देखा । उसमें से एक घोड़ा और एक घोड़ी को पसंद किया । राजकुमार ने उससे दाम पूछा तो उसने घोड़ी का दाम 500 मुहर और घोड़े का दाम 100 मुहर बताया। राजकुमार ने पूछा कि "घोडा अभी जवान है तो इसका दाम कम क्यों है ?" यह थोड़ी थोड़ी ज्यादा उम्र की है तो इसका दाम इतना ज्यादा क्यों है"? 
        सौदागर ने कहा यह घोड़ी नहीं थकती है और ना ही डरती है यह जमीन पानी सब में दौड़ लगाने में सक्षम है। पर यह घोड़ा भी वैसा ही है पर यह पानी से डरता है । 
इस पर राजकुमार ने पूछा कि ऐसा क्यों? सौदागर ने कहा- क्योंकि इसकी नानी की नानी भी  पानी देखकर डरती थी। इसलिए इसकी नानी भी पानी से डरती थी फिर इसकी मां और अब यह भी पानी देखकर डरता है। 
        यह सुनकर राजकुमार कुछ सोचने लगा। उसने सोचा कि क्या मैं जो करने जा रहा हूं वह उचित है या अनुचित। आज मैं किसी राजकुमारी को भगा कर शादी करता हूं तो अवश्य ही मेरा राजकुमार और राजकुमारी भी इसी तरह की हरकत करेंगे। राजकुमार को सत्कर्म पर ध्यान आ गया और वह खाली हाथ बिना घोड़ा खरीदे वापस अपने राज्य बिना राजकुमारी से मिले बिना ही चला गया।
        फिर राजकुमार ने राजकुमारी के राज्य में रिश्ते की बात करने के लिए अपने संबंधियों को भेजा । वहां के राजा ने खुशिपुर्वाक उनके रिश्ते के लिए मंजूरी दे दी । फिर दोनों की शादी धूमधाम से हो गयी ।

शिक्षा: कोई भी काम करने से पहले गलत या सही के बारे में सोच ले ।।



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