प्राकृतिक आवाज | Natural voice
प्राकृतिक आवाज
आज के भौतिक युग में मनुष्य के जीवन को चुनौतीपूर्ण बना दिया है और वह प्रदूषण शोरगुल के कारण व प्रकृति के आवाज नहीं सुन सकता फिर भी कभी-कभी प्रति अपना आवाज सुना हीं देती है।
जैसे जंगल के सनसन आती हवा, पेड़ पर बैठकर एक दूसरे से बात करते , यह चाहते पक्षी की आवाज झरने और पानी की आवाज में कोयल के मधुर संगीत कव्वे की कांव-कांव कबूतर की गुटर-गू गौरैया के चू-चू इत्यादि। इस सभी के प्रकृतिक दुनिया ना सिर्फ मन को शांत करने में मददगार है। बल्कि वह पूरे सेहत के लिए लाभकारी है। जिस मनुष्य को यह आवाज सुनने के लिए समय नहीं वह लोग प्रकृति से संबंधित रिकॉर्डिंग सुनने से मूड अच्छा होने के साथ-साथ तनाव कम होते हैं और दर्द से राहत मिलती है।
आजकल प्रकृतिक चिकित्सा पद्धति में भी पानी के आवाज ऐसे झरने और नदी के गड़गड़ाहट या स्थिर लड़ने को दिखा कर सुना कर सेहत को सुधारने में मददगार साबित होता है।
व्यवस्था के कारण रोज पर किया प्रकृति के बीच वक्त बताना संभव नहीं होता है| मगर साइंटिफिक रिपोर्ट में छपे अध्ययन के मुताबिक किसी प्राकृतिक (Natural) जगह जैसे पार्क बुलंद समुंदर के किनारे सप्ताह में सिर्फ 2 घंटे अपने परिवार बिताने से पूरा परिवार को भी सेहत को कई लाभ मिलते हैं।
वहीं विभिन्न देशों में मिलियन और लोगों पर हुए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि हरियाली के पास रहने वाले लोग अधिक जीते हैं क्योंकि वह प्राकृतिक (Natural) के आवाज सुनते हैं और पेड़ पौधे की देखभाल में शारीरिक परिश्रम भी करते हैं।
इसके कारण उन्हें अकेलापन मानसिक अवसाद से दूर रहकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहते हैं।मगर साइंटिफिक रिपोर्ट में छपे अध्ययन के मुताबिक किसी प्राकृतिक (Natural) जगह जैसे पार्क बुलंद समुंदर के किनारे सप्ताह में सिर्फ 2 घंटे अपने परिवार बिताने से पूरा परिवार को भी सेहत को कई लाभ मिलते हैं।
वहीं विभिन्न देशों में मिलियन और लोगों पर हुए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि हरियाली के पास रहने वाले लोग अधिक जीते हैं क्योंकि वह प्राकृतिक(Natural) के आवाज सुनते हैं और पेड़ पौधे की देखभाल में शारीरिक परिश्रम भी करते हैं। इसके कारण उन्हें अकेलापन मानसिक अवसाद से दूर रहकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहते हैं।
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