बिना शादी दुल्हन की विदाई | Unmarried bride farewell
परंपरा के प्रतिबद्धता और कानूनी मजबूरी इन दोनों के कारण एक दुल्हन बिना शादी के अपने ससुराल विदा कर दी गई। पिछले 6 फरवरी 2021 को बांका जिले में गांव पंचायत का कुशवाहा गांव में यह घटना हुआ जो कि इस प्रकार है -
एक आदिवासी परिवार की शादी बांका जिले में होना था। आदिवासी परिवार का परंपरा है। उनका जो प्रधान होता है उन्हीं के द्वारा शादी से पहले पूजा - पाठ किया जाता है , और शराब का भोग लगाया जाता है। लड़की वाले पुरे जोड़ शोर से तयारी में लगे हुए थे और बारात का इन्तजार कर रहे थे |
तय समय के मुताबिक लड़के वाले बरात लेकर लड़की वाले के घर पहुंचे। शादी विवाह का कार्यक्रम शुरू हो गया। आदिवासी के प्रधान ने शादी के लिए कुल - देवी की पूजा करने के लिए पूजा सामग्री के साथ शराब कि बोतल लेकर बैठा । उसी समय बिहार पुलिस ने आदिवासी के प्रधान को शराब के साथ पकड़ लिया और उन पर शराब का कारोबार करने का आरोप लगा उसे थाने ले गए | गांव के लोगों द्वारा काफी मशक्कत करने के बाद भी प्रधान को नहीं छोड़ा गया |
तभी गांव के लोगों ने धूमधाम से भोज भात कर बारातियों को खिलाया और खूब शराब पिलाया यह सोच कर कि पुलिसवाले क्या पूरे बारातीयो और पूरे गांव के लोगों को पकड़ कर ले जाएंगे पर एक भी पुलिस वाले नहीं पहुंचे। शादी तो रुक गई और अगली सुबह बिना शादी की दुल्हन को दूल्हे के साथ विदा कर दिया गया | अब बिदाई के पीछे का कारण यह है कि उनके समाज में बिना प्रधान के शादी नहीं हो सकती अगर लड़की विदा नहीं होती है | तो उसे विधवा मान लिया जाता है और उसकी शादी नहीं होती जब तक दुलाहा-दुलहन एक साथ रहेंगे और प्रधान जब जेल से आएगा तब उनकी शादी होगी |
लोगो को यह समझना चाहिए कि परंपरा लोगो की भलाई के लिए होता है ,यदि ऐसी परंपरा जो लोगो के हित में नहीं है तो उसे बदलने का प्रयत्न करना चाहिए | यह एक अच्छे समाज की पहचान होती है |
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