ईश्वर दर्शन | God darshan
ईश्वर दर्शन
हमारे यहाँ गाव से लेकर शहर तक साधू से ले कर संत तक , मुर्ख से लेकर भुधिजीबी तक सब ईश्वर के दर्शन करने के लिए व्याकुल होते है |
उन्हें यह नहीं पता कि जो भी धरना कर्म है वह सब ईश्वर के द्वारा किया जाता है | यह साधारण सी बात को लोग समझ नहीं पाते और ईश्वर कि कल्पना करते रहते है |
कैसा होगा , क्या रूप होगा, कैसा चमक और कैसा आकार होगा आरे मुर्ख समलो इतना साधारण भाषा में कोई भी ग्रन्य लिखा गया जिसमें ईश्वर के परिचय करा सके |
सबसे पहले मै ईश्वर के कृपया के बारे में बताता हू | जब कोई जिब जंतु का जन्म होता है | उस समय सबसे पहले उसे जीबित रहने के लिए ईश्वर हवा में ऑक्सीजन दिया ताकि वह स्वाश ले सके फिर उसकी माँ के स्थन में दूध भर दिया बच्चा उसे पी कर जिन्दा रह सके फिर प्रकृति रूपी यह जहान दिया जिस में तरह तरह के फल - फूल , कंद – भुंड ,आनाज खनिज पदार्थ और सभी सुख सुबिधा ईश्वर ने दे दिए है |
जानवर को भी अपना भोजन करने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है | मांसाहारी जानवर भी शिकार के कोशिश करता रहता है | चिड़िया को दाना कि तलाश करना परता है | यानी सभी प्राणी का अपनी आबस्यकता पूर्ती के लिए कर्म करना परता है | आज भी जंगली जानवर को हर सामान मुफ्त में ही मिल रहा है |
इसी तरह सिर्फ मनुष्य ही बुद्धि जीवी प्राणी है | आब हर मनुष्य हर काम तो नहीं कर सकता ,मनुष्य के बुद्धि की वजह से यह दुनिया के रूप रेखा जो हम लोग देख रहे है जो प्रकृति सन साधन के अलाबा अपने सुख सुविधा के लिए भोतिक सामान कर उपयोग कर रहे है | हमारे सामने मनुष्य ,जानवर ,जीब जंतु सभी जो जीबित रूप से दिखाई देता है | वह अनेको रूप रंग में सामने आता है | वह सब ईश्वर ही तो है |
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