रास्ता अपने ओर
दुनिया में कहीं भी जाने के लिए बहुत सारा रास्ते हैं | जिसे भी अपने निर्धारित स्थान पर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग रेल मार्ग जल मार्ग हवाई मार्ग बना हुआ
रास्ता अपने ओर
दुनिया में कहीं भी जाने के लिए बहुत सारा रास्ते हैं | जिसे भी अपने निर्धारित स्थान पर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग रेल मार्ग जल मार्ग हवाई मार्ग बना हुआ है , वह लोग अपने रास्ते पर चलकर अपना गंतव्य पूरा कर लेते हैं। पर अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता कोई नहीं बनाता है क्योंकि अपनी मंजिल किसी को मालूम ही नहीं होती। अगर मंजिल मिल जाए तो रास्ते की क्या आवश्यकता है। मनुष्य पूरी दुनिया में अपनी मंजिल पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर-कर रहा है हमारे बहुत ऋषि मुनि किस मंजिल को खोजने के लिए कितनी तपस्या किए हैं कुछ ऋषि मुनि इसमें कामयाब भी हुए। कुछ ने हमारे वेद पुराण की रचना भी की पर अपने तरफ आने वाले रास्ते के बारे मैं कोई रचना नहीं किया गया। जो कोई महापुरुष कोई रास्ता बनाया अभी तो वह सिर्फ अपने लिए। उस रास्ते पर चलकर कोई दूसरा साधु-संत साधक उपासक वहां तक नहीं पहुंच सकता | आज के समाज में जितनी भी शिक्षा दीक्षा है , वह सिर्फ इस दुनिया में जिनके लिए ही है पर असल में मंजिल तक पहुंचने के लिए कोई भी शिक्षा दीक्षा की जरुरत नहीं है । असल गुरुद्वारा सत्संग जमागन किया जाता है धर्म की कहानी सुना कर लोगो को सन्मार्ग पर ले जाने के लिए कोशिश होती है , पर अपने तरफ आने वाले रास्ते और मंजिल ना तो किसी को मालूम होता है और ना कोई विवरण ही करता है | अपने और आने वाले रास्ते और मंजिल स्वयं मनुष्य को अपने जीवन रूपी ब्रह्मांड में स्वयं को लेना पड़ता है और इस रास्ते के खोज के लिए अपनी मंजिल स्वयं तय करनी पड़ती है | इसके लिए किसी धर्मगुरु की आवश्यकता नहीं होती मनुष्य अपनी बुद्धि और विवेक के हिसाब से मंजिल तक पहुंचता है।अगर सफलता का मार्ग पता हो तो आप भी सफल हो सकते हो
Post A Comment:
0 comments: