पर्व और त्यौहार | Festivals and festivals
पर्व और त्यौहार क्यों मनाया जाता है
जब से मानव जाती कि सभ्यता कि तरफ अग्रषर हुए और हमारा समाज के निर्माण हुआ उसी समय से विद्वान और ऋषी मुनी भी समाज को एक रीती – रिवाज के लिए आगे आए |
उस समय के राजा महाराजा कि भी गठन हुआ मनुष्य जब सभ्य समाज के गठन किया तो ऋषी मुन्नी द्वारा समाज को बाँधने के लिए तरह तरह के रीती और रिवाज बनाये और समाज को कर्म के हिसाब से जाती बनाया गया |
तब यह निश्चय हुआ कि जो जिस क्रम से ज़ुरा है , वह शादी – विवहा भी अपने कर्म के जाती से ही करेगा | फिर धर्म आपनाने कि बात आई तो कई धर्म अपने हिसाब से ईश्वर कि पूजा पाठ करना सुरु किया |
फिर समाज में हर कर्म कांड के लिए तरीका बनाया गया | शादी विवाह , सुख सिम्रिद्धि पर्व त्योहार सब कुछ एक आस्था से जोड़कर बनाया गया | उस समय मनुष्य का जीवन बहुत कठिन था सब कुछ का आवाभ था | इस आवाभ में उन्होंने वर्त त्यौहार के लिए लोगो को प्रेरित किया ताकि उस बहाने कुछ अनाज कि बचत हो जायेगा और लोग त्यौहार के नाम पर अच्छा अच्छा पकवान बनाकर सब सब घर परिवार के लोग मिलकर ख्येंगे और ख़ुशी मनाएगे और एक दुसरे को अपना पकवान आदान प्रदान कर सभी लोगो को एक नया उत्साह के साथ उर्जा भर दिया जाता है ताकि मनुष्य अपना कर्म लगन और महेनत से करे जैसे जैसे समय बिता मनुष्य को भी विकाश के रास्ते आगे बढ़ने लगा और इस से आज जितना भी पर्व – त्यौहार मनाया जाता है |
यह सब हमारे पूर्वज के द्वारा दिया गया उपहार ही है | आज के लोग पर्व – त्यौहार के नाम पर उसका मतलब उल्टा कर दिया है | पहले पर्व –त्यौहार अनाज बचाकर फिर ख़ुशी मानते थे | आज पर्व त्यौहार के नाम पर लोग काफी खर्च कर डालते है | और पर्व त्यौहार अपने घर परिवार तक ही सिमटता जा रहा है | अब आश पास के परिवारों से पकवान से आदान प्रदान भी कम होता जा रहा है |
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