तीर्थ यात्रा
भारत एक कृषि प्रधान देश है | पुराने ज़माने में
हमारे पूर्वज खेती किशानी पर निर्भर रहते थे पहले उनके पास किसी शहर कि तरफ जाने
के लिए कोई साधन नहीं था , न तो उनके मनोरंजन के कोई साधन थे गाव के लड़के मिलकर
कभी कोई नाटक कर लिया करते थे | गाव के स्त्री - पुरुष एक ही तरह के काम करते –
करते उब जाते थे | उस उबाऊ को बिताने के लिए जब उनका खेती का काम समाप्त हो जाता
तब किसी धार्मिक स्थल के दर्शन करने का प्रोग्राम बनाते थे | इस बहाने वह काफी धन
दौलत ले कर आपने परिवार के कुछ सद्श्य के साथ यात्रा पर निकल जाते थे , और पैदल ही
ज्यादा से ज्यादा सफ़र करते थे | जहाँ उनको रेलगाड़ी कि सबरी का मौका मिलता था तो
कही बस , घोडा गाडी , पानी का जहाज तो कही रिल्श्वा मनोरंजन भी हो जाता था | जहाँ
कही रात हो जाता वे लोगो किसी कुए के आस पास रहते ताकि पानी मिल जाए पीने के लिए
और आपने साथ कुछ सुखा खाने पीने के लिए सामान ले जाते और आपना यात्रा एक लम्बी
अब्धि पूरा कर आते थे इस बहाने शहर लो भी देख लेते और रास्ते में पड़ने बाले देवी –
देवता के भी दर्शन भी कर लेते है | उसी दौरान कुछ नए सामान दिखाई देता तो उसे खरीद
लेते , घर वापसी के समय वहां से बच्चो ले लिए कुछ खिलोने और खाने के सामन भी ले
लेते और कुछ प्रसाद के रूप में मिठाई , पेरा , चुरा और मटर दाना खरीद लेते , जब वे
लोग आपने घर पहुचते है तब गाव के लोगो को आपने यात्रा ब्रितांत बताते नहीं रुकते
और नयी उर्जा से फिर अपना काम पर लग जाते |
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