जीत की ओर |To victory
जीत की ओर
अभी अभी पता चला है कि पुणे के एक महान व्यक्ति हैं जो 85 वर्ष के थे। वह कोविड-19 से संक्रमित हो चुके थे उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी।
जब 24.04.2021 को अस्पताल पहुंचे तो उन्हें काफी मशक्कत के बाद अस्पताल में एक बेड मिला। उन्होंने देखा कि एक 30 साल का आदमी बेड के लिए तरस रहा था और उसे ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी उन्होंने अपना बैग उस नौजवान को देने के लिए अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया और वह बेड उस नौजवान को मिल गया तब उस व्यक्ति ने कहा" मेरी उम्र 85 साल है और मैं इस दुनिया को बखूबी देख चुका हूं और अपना जी जीवन जी चुका हूं, परिया एक नौजवान है और यदि इसे इलाज नहीं मिला तो वह मर जाएगा और उसका परिवार पर घोर संकट छा जाएगा"।
यह कहकर वह आदमी अपना घर लौट गया और पृथकवास में रहने लगा।
ठीक 3 दिन बाद 274 2021 को उनका निधन हो गया। इस तरह से उन्होंने संदेश दिया कि वह करो ना से भारत हार मानने वालों में से नहीं है हम करो ना पर जीत हासिल करेंगे।
वह हम सब मनुष्य जाति को संदेश दे गए कि जिस व्यक्ति को अति आवश्यक हो उसके लिए आवश्यकता की पहचान करें और आ करणवीर बढ़ाकर पैसे के बल पर जो कम बीमार हैं वह भी अस्पताल के बेड लेकर दूसरे जरूरतमंद को मरने पर मजबूर कर रहे हैं हमें इन महापुरुष से सीख लेने की जरूरत है जैसे दूसरे विश्व युद्ध के समय जर्मनी ब्रिटेन के ऊपर बम वर्षा कर रहा था।
उसी खौफ के बीच लंदन में दूध की मारा मारी थी। लंबी लंबी कतार लगा हुआ था उसी समय दूध वितरण कर रहा है व्यक्ति ने घोषणा की केवल एक बोतल दूध बची है बाकी के लोग कल आए। दूध की आखिरी बोतल जिस व्यक्ति को हाथ में आनी थी ठीक उसके पीछे एक औरत अपने गोद में मासूम छोटा बच्चा लेकर खड़ी थी । उस औरत के माथे पर अचानक चिंता की लकीर ओबराय।
लेकिन देखा दूध वितरण करने वाले व्यक्ति उस औरत के हाथ में दूध के बोतल था मारा था कि उसके आगे वाला आदमी हटकर हट गया । अचानक जोर से तालियों की आवाज गूंजने लगी और लोगों ने जोरदार तालियों से उस व्यक्ति का अभिनंदन किया। उस व्यक्ति ने महिला से से सिर्फ यह कहा कि आपका बच्चा बहुत ही प्यारा है और यह इंग्लैंड का भविष्य है।
इस घटना की खबर जब इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल के पास पहुंची तो वह जर्मनी के जबरदस्त हम लोग की विभीषिका से उत्पन्न चिंता से उबर कर बोल पड़े कि हिटलर को संदेश दे दो ब्रिटेन की जीत को कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि यहां के आदमी अपना निजी हित भूलाकर देश के बारे में सोचते हैं
प्रधानमंत्री चंचल का विश्वास सच निकला। ब्रिटेन विजेता बनकर उभरा। इस समय हमारा देश भारतवर्ष पर भी करुणा के संकट मंडरा रही है अब सोचने वाली बात यह है कि क्या हम अपना निजी स्वार्थ बुलाकर अपनी चारित्रिक श्रेष्ठता प्रमाणित करने को तैयार हैं
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