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मजबूरी से मजदूरी | Forced labor

प्राचीन काल में जब मनुष्य सभ्यता की ओर बड़ा तो सबसे पहले खेती किसानी शुरू किया। उसे मानव को आसानी से पालने वाला कुछ जानवर हाथ लग गया और उस जानवर को पक
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मजबूरी से मजदूरी | Forced labor

मजबूरी से मजदूरी

मजबूरी से मजदूरी | Majabooree se Majadooree

प्राचीन काल में जब मनुष्य सभ्यता की ओर बड़ा तो सबसे पहले खेती किसानी शुरू किया। उसे मानव को आसानी से पालने वाला कुछ जानवर हाथ लग गया और उस जानवर को पकड़कर पालतू बनाया। मानव को सबसे पहले कुत्ता वफादार जानवर मिला फिर हाथी घोड़ा गधा बैल सूअर जैसे जानवर को पालतू बनाया। इन जानवरों का उपयोग खेती किसानी में होता रहा। 

जैसे बैल से खेत में हल चलाना और बैल गाड़ी से सामान ढोना इसी तरह घोड़ा से सवारी करना और सामान दो ना। सामान ढोने में बैल हाथी घोड़ा गधा आदि के इस्तेमाल होना शुरू हो गया। मनुष्य भी अपने समूह में एक दूसरे की मदद से एक काम करने लगे। कुछ दिन बाद यह काम मजदूरी के रूप में प्रकट हुआ।

लोग काम करते थे और उसके बदले में अनाज देना शुरू हो गया या मजदूरी प्राचीन काल से अब तक चलती आ रही है। मनुष्य बुद्धिमान है इसका नाम जानवरों को पालतू बनाकर जिस जानवर से जैसा काम लेना है उसे मजबूर कर काम करता है काम करवाता है। गाय भैंस अपने बच्चों के लिए दूध देती है मनुष्य उससे उसके बच्चे का दूध छीन लेता है और अपना उपयोग में लगा देता।

आज जितने भी लोग हैं उसमें से 80% लोग मजदूरी करते हैं ।

मजबूरी के नाम पर मजदूरी करता है और उससे उसे जो पैसा मिलता है उन्हीं पैसे से अपना परिवार का भरण पोषण करता है।

 सभी लोग मजबूर हैं कि किसी तरह पैसा कमाना है कोई नौकरी करके तो कोई अपना धंधा करके सब व्यस्त हैं और मजबूर है अपना जीवन यापन करने के लिए इस मजबूरी के कारण लोग ना जाने कितना कष्ट उठाते हैं। और रोटी के लालच में इन्हें सब कुछ करना पड़ता है।।

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