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भारत की विशेषता |Specialty of india

भारत जैसा प्राकृतिक सौन्दर्य की धनी सायद ही कोई होगा | सबसे पहेले भारत के नक्से के बारे में बात करता हूँ |भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत कि श्रृंखला|
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भारत की विशेषता |Bhaarat Kee Visheshata

भारत जैसा प्राकृतिक सौन्दर्य की धनी सायद ही कोई होगा | सबसे पहेले भारत के नक्से के बारे में बात करता हूँ | भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत कि श्रृंखला , दक्षिण में हिन्द महासागर , पूर्व में बंगाल कि खाड़ी इसे हम अंग्रेजी में Bay of Bengal भी कहते है और पश्चिम में अरब सागर , जिसे अंग्रजी मे Arabian Sea कहते है , घिरा हुआ है | उत्तर के पहाड़ी के हिस्से में ऊँचे ऊँचे देवदार , चिर और सागवान जैसा विशाल पेड़ है | वही उसी इलाके में सेब , अखरोट जैसे फल होते है |

कश्मीर में केसर की खेती होती है | वही दार्जीलिंग इसकी चमक में चार चाँद लगा देता है | वह तरह-तरह के पहाडी पशु-पक्षी न जाने कितने रंग बिरंगे होते है |



भारत की विशेषता

भारत की विशेषता 

            
ठीक इसी तरह भारत के मैदानी क्षेत्र में कृषि होती है और तरह तरह के फल , फूल , अनाज का पैदावार होता है | जब वसंत ऋतू आता है तब मैदानी भू -भाग इतना मनमोहक हो जाता है | खेती में सरसों का पीला फूल मानो हमारे देश को दुल्हन जैसी सजा देती है | सभी तरह के पेड़-पौधे फल-फूल से लद जाते है | सुबह से ही कोयल अपनी मधुर आवाज में गाने लगती है , तरह तरह के के जीव जन्तु चहकने लगते है |


हमारे यहाँ हिमालय से निकले बहुत सारे नदियों कि श्रंखला है | उसमे मुख्य नदियां जैसे गंगा , यमुना , झेलम , कावेरी , कोसी , ब्रहम्पुत्र जिस में अपने निर्मल स्वक्ष सुध जल कि धरा प्रवाहीत होती है | इस के कारण हमारे देश में चार प्रमुख महानगर है- दिल्ली , मुंबई , कोलकाता , चेन्नई | सभी शहर में भी प्रकृति रूप में बड़े-बड़े बाग बगीचे भी बनाया गया है। बड़े-बड़े महानगर में चिड़ियाघर, म्यूजियम और बड़े-बड़े इमारत हैं। कुछ प्राचीन काल के इमारत भी मौजूद है। हमारे यहां इतने सुंदर-सुंदर वन प्राणी है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति ने उन्हें फुर्सत से बनाया है। किसी भी जंगली प्राणी को देखिए कितने रंग से सब बना हुआ दिखाई देता है। कई जीव जंतु कुछ अजीब प्रकार के होते हैं उनका चाल और स्वभाव अलग प्रकार का होता है।

हमारे यहां बरसात के समय सभी बरसाती नदियां उफान पर रहती है। यहां तरह-तरह के प्राकृतिक आपदा भी आते रहते हैं। हमारे यहां हर जगह प्रकृति कुछ अलग अलग रूप में दिखाई देती है। मरुस्थल में ऊंचे ऊंचे रेत के टीले दिखाई पड़ते है। गर्मी के समय धूल भरी हवा चलती रहती है। यहां का हर मौसम एक विशेष प्रकार के सुख-दुख से अनुभूति देता है| ऐसा वतावरण किसी एक देश में होना गर्व कि बात है |


हमारा देश विविधता से भरा हुआ है | यहाँ 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश है| हर राज्य की अपनी भाषा और अपनी संस्कृति है | हर राज्य की एक अलग पहचान है | सब का अपना-अपना पहनावा और पकवान है | यहाँ सब एक-दुसरे का सम्मान करते है , एक दुसरे की भावनाओ की क़द्र करते है |
इतनी विविधता होते हुए भी हम सब भारतवासी है | हम सब हा एक राष्ट्रगान और एक राष्ट्रगीत है |

हमारा राष्ट्रगान है-जन-गण-मन


जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्‍य विधाता ।
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्‍कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्‍छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय-गाथा ।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्‍य विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।



इसे राष्ट्रकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था | यह पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कलकत्ता अधिवेशन में हिंदी और बंगाली भाषा में गाया गया था | राष्ट्रगान के पूरे संस्करण को गाने में कुल 52 सेकेंड का समय लगता है । इस समय राष्ट्र के सम्मान के लिए हर भारतवाशी , जो इसे सुन रहा हो , खड़े हो हर इसका सम्मान करता है |


हमारा राष्ट्रगीत है -वन्दे मातरम


वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥

कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम्॥ २॥

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम्
मातरम्॥४॥

वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं
मातरम्॥ ५॥


इसकी रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवम्बर 1875 में की थी |यह पहली बार 28 दिसंबर 1896 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राष्ट्रिय अधिवेशन में वंदेमातरम् गाया गया था |

हम सभी भारतवाशी राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को गर्व से गाते हैं |

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