गुरुजी
आज भी गुरुजी का इतना ही महत्व है | आज के गुरुजी न तो शिष्य को पहचान पाते है और न हीं अपना अच्छा योग्यदान दे पाते है | आज के गुरुजी तरह-तरह के बुरी आदतो के आदि होते है | कोई व्यक्ति जैसे ही गुरुजी के पद पर जाता है उन्हें आपना बुरी आदत का बदलाव करना चाहिए तभी तो वे शिष्य के आदर्श बन पाएंगे | सबसे पहले अपना गुस्सा – नाराजगी त्याग करना चाहिए | अपने शिष्य को अपना मधुर व्यव्हार से पढाई – लिखाई करवाना चाहिए |
बच्चे तो नटखट होते ही है , पर इसका मतलब यह कतई नहीं की उन्हें हमेसा दण्डित किया जाये | शिक्षक जब खुद बच्चो को अच्छी तरह उनका सबक समझायेगे तो बच्चो को अपना सबक पढ़ने में मन लगेगा | जब बच्चो को समझ नहीं आता तो उनके लिए वह भाग एक बम बन जाता है और बच्चे पढाई से उबने लगते है , या फिर डरने लगते है | इस लिए शिक्षक का कर्तव्य बनता है कि बच्चो को जिस तरह भी समझ आता है उन्हें साधारण भाषा में उदाहरण देकर समझाए ताकि बच्चे अच्छे से समझ सके और उन्ही बच्चो में से अनेक बच्चे कालांतर में इसका भार उठाने में सक्षम हो सके तभी हमारा परिवार , समाज , गाँव , देश आगे बढेगा , और हम मनाव जाती का भविष्य उज्जवल हो पायेगा |
एक बार की बात है एक गाँव में एक लड़का रहता था | वह बहुत मेहनती था | वह हर विषय में अच्छा प्रदर्शन करता था परन्तु गणित में बहुत अच्छा नहीं था | उसको जो भी समझ नहीं आता था वह उसको छोड़ देता था या उसको रट लेता था | इससे शिक्षक को ये समझ नहीं आता था कि उसको क्या समझ में नहीं आया | जब गुरूजी को यह बात पता चला तो गुरूजी ने उस पर बहुत अच्छे तरह ध्यान देना शुरू किया | जब बच्चे को गणित अच्छी तरह समझ में आने लगा तो बच्चे ने एक करोड़ तक कि गिनती जुबानी याद कर लिया |
जब उसके सामने कितना भी मुश्किल जोड़ घटाओ के प्रश्न आते थे तो उसको वह जुबानी ही हल कर देता था | इस तरह से वह एक बहुत बड़ा गणितज्ञ बन गया |
यह सिर्फ गुरूजी कि महिमा थी कि इस काबिल बन सका |
एक गुरुजी लाल बहादुर शास्त्री जी के भी थे लाल बहादुर शास्त्री बहुत ही गरीब परिवार के थे उनके पास इतना धन नहीं था कि वह आगे की पढ़ाई पढ़ सके उनके गुरु जी ने उनको पहचाना और खर्च देने के लिए एक उपाय सोचा | उन्होंने कहा कि वह गुरुजी के बच्चे को पढा दे ताकि उसके बदले उनको कुछ खर्च दिया जा सके | इस तरह से गुरुजी ने लाल बहादुर शास्त्री जी को शास्त्री तक की डिग्री प्राप्त करने में मदद की और कालांतर में वे भारत के प्रधानमंत्री बने |
ऐसे ही एक गुरुजी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के भी थे | अंबेडकर जी नीची जाति के थे इस कारण उनके साथ भेद-भाव किया जाता था और उनके साथ छूत का व्यवहार किया जाता था | उनको स्कूल में सभी के साथ नहीं बैठाया जाता था इसलिए उनके गुरु जी ने भीम राव को अपना सरनेम अम्बेडकर दिया और यह भीमराव अंबेडकर बना दिया | फिर आगे पढ़ लिख कर वहां के राजा के द्वारा छात्रवृत्ति प्राप्त करके विदेश पढ़ने गए और वहां से पढ़ने के बाद भारत के संविधान रचयता बने |
एक गुरु जी ने तत्काल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के भी थे जो उनके द्वारा शिक्षा दीक्षा मिलने के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर आज प्रधानमंत्री पद पर निहित है इसलिए गुरु जी की महिमा की कोई बराबरी नहीं है |
एक गुरु जी चाहे तो आप को सही राह दिखा कर आपका भविष्य उज्जवल कर सकता है | इसलिए गुरूजी आदरणीय और पूजनीय है |
माता-पिता के बाद यदि कोई सच में आपकी भलाई चाहता है तो वह सिर्फ गुरूजी हैं | गुरूजी अपने शिष्यों की तरक्की से खुश होते हैं और उनकी कामयाबी कि कमाना करते हैं ||
Post A Comment:
0 comments: